فال زلال
نوشته شده توسط : اعظم خواجه اف - خجسته

 

امروز زلال
 
یک شاعرک چون قاضی
شعر زلال این کودک نوزادرا
پرونده کرد و بی خبر از آن که با دستان خود
چون کرم ابریشم عجب زار و نزار
فردای خودرا حبس کرد.
 
 
فردای زلال
 
غزل ترانه می شود
و هر قصیده عاشقانه می شود
به باغ شعر پارسی کنار بیت و مثنوی
زلال همچو یک جوانه می شود
و جاودانه می شود
 
 
Имрузи Зулол
 
Як шоирак чун козие
Шеъри зулол, ин кудаки навзодро
Парванда карду бехабар аз он ки бо дастони худ
Чун кирми абрешим ачаб зору низор
Фардои худро хабс кард
 
 
Фардои Зулол
 
Газал тарона мешавад
Ва хар касида ошикона мешавад
Ба боги шеъри порсй канори байту маснавй
Зулол хамчу як чавона мешавад
Ва човидона мешавад




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تاریخ انتشار : شنبه 9 / 1 / 1390 | نظرات ()
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